देखो कहां ले आए तुम
अंधेरों, मुश्किलों, दुखों से दूर
उलझनों से सुलझन की ओर ले आए तुम
बे – सुकून से सुकून कि तरफ़
गुमनामी से वजूद की ओर ले आए तुम
मरे हुए से ज़िंदा होने का
एहसास करा दिया तुमने
अधूरे से पूरा कर दिया तुमने
सवालों को जवाब में बदल दिया
समर्पण को आत्मसमर्पण कर दिया तुमने
एक कैदी को चिड़िया बना कर
आज़ाद करा दिया तुमने
हां उड़ना सिखा दिया तुमने ।